लेखनी कहानी -15-Oct-2023
चोर सभी हो रहे इकठ्ठे, लड़ने चले सिपाही से। ////////////////////////////////////////////////////// चोर सभी हो रहे इकठ्ठे,,, लड़ने चले सिपाही से। सही दौड़ जो लक्ष्य पा रहा,लड़ते है उस राही से। न कोई हथियार ,,,,,हाथ में। न जनता का साथ साथ में। न ही कोई ,,,,,,दोष दिखाते, दुःखी हुए सबके विकास में। पोल सभी की खोल रहा है,लड़ते हैं होशियारी से। चोर सभी हो रहे इकठ्ठे,,,,,,, मोदी,, ,आंगे कदम बढ़ाता। साथ सभी का हरदम पाता। देश,विदेश जहां भी जाता, बढ़ता जाता,साथ विधाता। दिल दुखता इससे चोरों का,हारे स्वयं ख़ुमारी से। चोर सभी हो रहे इकठ्ठे,,,,,,,, चोरों को विकास न भावे। कुर्सी बिना ,नींद न आवे। खाड़े ,बैठें, चैन परत नइ, रात दिना काम न सुहावे। तलफत मीन बिना पानी के डरते सच्ची यारी से। चोर सभी हो रहे इकठ्ठे,,,,,,,, अपने करतब सभी छिपाते। निर्मल नियम इन्हें न भाते। मुखिया कौन बनेगा इनका, इस पर गौर नहीं फरमाते। चोर उचक्के साथ चल रहे, हारे खुद गद्दारी से। चोर सभी हो रहे इकठ्ठे,,,,,,,,,
सीताराम साहू'निर्मल'छतरपुर मप्र
Mohammed urooj khan
16-Oct-2023 04:23 PM
👌👌👌👌
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